मेरे कॉलेज का सफर

वो कॉलेज की पढाई , वो दोस्तों की तलाश |
वो कैंटीन के समोसे , वो पटेल के हॉटडॉग की आस ||

 

V.P. सर की क्लास में ,सब दोस्तों का साथ | और कामना मेडम का टेस्ट ना देने के लिए , सबके रहते थे ऊपर हाथ ||

 

वो गणेश सर का “”मारे जाओगे सब”” का डायलाग , वो राणा सर का टशन |
और सॉफ्ट सी अमन मेडम के चेहरे पर ,आ जाता था कभी कभी एंग्री एक्सप्रेशन ||

 

कविता मेडम का गेल्विन की लाल किताब से ऑपरेटिंग सिस्टम पढ़ाना |
और शिप्रा मेडम का रोज टेस्ट बोलकर , अगले दिन सिलेबस ही आगे बढ़ाना ||

 

वो मेघा मेडम की क्लास में , मेम के अलावा सभी का लेट आना |
लेकिन लेट होने पर भी , वाशरूम के शीशे को अपना चेहरा जरूर दिखाना ||

 

VP सर की क्लास में होती थी , सन 1990 की बात |
और DBMS पढ़ते हुए ,पैदा हो जाते थे नींद वाले हालात ||

 

नैन्सी, विनीता की रहती थी , VP सर से हमेशा तकरार |
और हिना ,नेहा का फुल सपोर्ट रहता थे उन्हें हर बार ||

 

बबिता की प्रैक्टिकल फाइल ,और T J के नोट्स रहते थे हमेशा तैयार |
जिन्हे हड़पने के लिए लड़कों में , मची रहती थी हाहाकार ||

 

अनु की चहचहाती स्माइल , और शिखा का बैक बेंच पर use ऑफ़ मोबाइल |
और अंकिता की NCC प्रैक्टिस के कारण उसके दोस्त , कर देते थे पूरी उसकी फाइल ||

 

और अब क्लास के लड़के 🙂

 

पढाई का बहाना बनाना , और अमर के घर जाना |
फिर 5 मिनट पढ़कर , गप्पें मारने के बाद , रात 3 बजे दोस्तों के फ़ोन बजाना ||

 

वो कुंदन का “I AM NOT ANSWER” , वो रघु भाई का टाइम से पहले जेंटलमेन बन जाना |
फिर हमेशा ही अमर का अपनी एवेंजर के लिए , पेट्रोल का राग बजाना ||

 

वो SLT. अभिषेक अग्रवाल के भयंकर प्रचंड भाषण | और विनय महाराज का प्रोजेक्ट के नाम पर किया जाता था शोषण ||

 

प्रवीन और प्रधान जी का , बजट फ्रेंडली ट्रिप बनाना |
अमर का बंक मारकर , क्रिकेट के लिए दोस्तों को मनाना ||

 

मैच खेलने के लिए , सूर्या गैंग हो जाती थी तैयार |
पर एंट्री फीस देने के नाम पर उनका होता था इमोशनल अत्याचार ||

 

धरम ,गुरप्रीत का मैच के लिए हाँ बोलकर , चुपके से किसी मिस्ट्री गर्ल के पीछे निकल जाना |
और अगले दिन दोस्तों के हाथ आने पर , ट्रेन लेट होने का बहाना बनाना ||

 

लास्ट दिनों में , सही टाइम ना बताने पर , सूर्या गैंग के साथ हुआ गलत व्यहवार |
जिसके कारण ,काली पल्टन पुल वालों को झेलनी पढ़ी , संजय की पेडिग्री की मार ||

 

अब तो दौड़ चालु हो गयी है , ख़तम हो गए हसीं दिन सारे |
सच हुआ गणेश सर का डायलाग , जिंदगी की रेस में हम सब गए हैं मारे ||

 

कभी पलकों पर आंसू , कभी हंसी की फुहार |
सपना सा लगता है यार , कभी भूलूंगा नहीं यार ||

 

Golden Days ,Miss You Yaaro , LOVE YOU 3000

दीपक✍️

Posted in Uncategorized
Leave a Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Poetry is peace :)